📍 नई दिल्ली — भारतीय सेना के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (कैपेबिलिटी डेवलपमेंट एंड सस्टेनेंस) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने शुक्रवार को फिक्की द्वारा आयोजित “न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज” कार्यक्रम में एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान भारत-पाक तनाव, चीन और तुर्की की भूमिका और भारतीय सेना की रणनीति पर खुलकर बात की।
🔴 चीन बना “रियल टाइम इंटेलिजेंस सप्लायर”
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को चीन से ऑपरेशन के दौरान लाइव खुफिया जानकारी मिल रही थी।
“जब डीजीएमओ स्तर पर बातचीत चल रही थी, तब भी पाकिस्तान को हमारी सैन्य गतिविधियों की लाइव फीड मिल रही थी, जो चीन की मदद से संभव हुआ।”
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के 81% सैन्य उपकरण चीनी हैं और चीन ने पाकिस्तान को अपना युद्ध क्षेत्र एक ‘लाइव टेस्ट लैब’ की तरह इस्तेमाल करने दिया।
🛰️ तुर्की ने दिए थे ड्रोन और तकनीकी सपोर्ट
सिंह ने खुलासा किया कि तुर्की ने पाकिस्तान को “Bayraktar ड्रोन्स” और प्रशिक्षित स्टाफ मुहैया कराया।
“हम अब एक साथ तीन मोर्चों—पाकिस्तान, चीन और तुर्की—से निपटने की चुनौती का सामना कर रहे हैं।”
💥 ऑपरेशन सिंदूर में भारत की करारा जवाब
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने बताया कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बेहद सटीक और आक्रामक कार्रवाई की।
“हमारा अगला हमला तैयार था, लेकिन पाकिस्तान को समझ आ गया कि अगर हमने और हमला किया, तो उसकी हालत बहुत खराब हो जाएगी। इसलिए पाकिस्तान ने खुद सीजफायर मांगा।”
🛡️ अब भारत को चाहिए बहु-स्तरीय हवाई रक्षा
सिंह ने हवाई सुरक्षा को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी:
“अभी तो शहरों और आबादी पर हमला नहीं हुआ, लेकिन अगली बार हम तैयार रहने चाहिएं। हमें एक मजबूत, मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम चाहिए।”
⚖️ सीजफायर का फैसला समझदारी भरा
उन्होंने कहा कि युद्ध की टाइमिंग और नियंत्रण दोनों अहम होते हैं:
“जब हम अपना सैन्य लक्ष्य हासिल कर लेते हैं, तो लड़ाई रोक देना समझदारी है। युद्ध शुरू करना आसान है, पर उसे संभालना सबसे मुश्किल होता है।”
📌 निष्कर्ष:
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पाकिस्तान को चीन और तुर्की से मिल रही थी रणनीतिक मदद
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भारत की आक्रामक रणनीति ने पाकिस्तान को सीजफायर के लिए मजबूर किया
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भविष्य में खतरा और बढ़ सकता है, हवाई सुरक्षा सिस्टम को अपग्रेड करना होगा